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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१०६

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f २-अतिसार और बवासीर मे- नित्य मट्ठा पीना चाहिये। इससे नाड़ियों का रक्त शुद्ध होता है। और रस, बल, पुष्टि और शरीर की कान्ति उत्तम होती है। हर्ष प्राप्त होता है । और वायु के विकार नष्ट होते हैं। ३--कफ में- अजवायन और काला नमक डाल कर महा पीना लाभ- दायक है। ४-बवासीर पर- चीता की जड़ की छाल पीस कर मिटी के बर्तन में भीतर लेप कर देना । और धूप में सुखा कर दही जमाना और उसे रोगी को पिलाना। ५--संग्रहणी में- गाय के मढे में १ तोला काली मूसली पीस कर डाल देना और खाने को मट्ठा-भात देना। ६-मूंगफली- अधिक खाने से कुछ विगाड़ हो तो मट्ठा पीना चाहिये। ७-बवासीर पर भपारा- बवासीर के मस्से खूब फूल गये हों या रक्त की धारा बन्द न हो, मस्सों में भंयकर जलन, चमक और तकलीफ हो, रोगी को अत्यन्त कष्ट हो तो यह उपाय करना चाहिये कि एक ईंट आग में खूब लाल कर लेनी चाहिए और २२-२॥ सेर ताजा गाय के छाछ में ६ माशा अफीम घोल कर इट पर जल्दी से छिड़कना चाहिये और झटपट ईट को साफ कपड़े में लपेट कर