रोगी को चित्त लिटा कर गुदा के पास रख देना चाहिये। जिससे मस्सों पर सुहाता-सुहाता सेक लगे। यह सेक रोगी को अत्यन्त आराम पहुंचाता है। शाक बनाने की रीति आलू- आलू शाकों का बादशाह है। इसके बनाने की सर्वोत्तमरीति यह है कि-बालू , को पानी में छोड़कर उवाल लो। फिर सावधानी से छील लो। ध्यान रक्खो कि बालू के छिलके से सटा हुआ एक पदार्थ है जो बहुत पुष्टिकर है-वह छिलके के साथ न फेंक दिया जाय । कच्च आलू छील कर बनाने से यह पदार्थ नष्ट हो जाता है। आलू को छील कर उसके ३-४ टुकडे चाकू से कर लो। फिरसेर भर बालू को पाव भर घी में पूरी की भाँति तल लो। इसके बाद २ तोला धनिया, २ माशा लोंग, बड़ी इलायची मा०, काली मिर्च ६ मा०, तेजपात ३ मा०, हल्दी ५माशे, अदरख ४ माशे, लाल मिर्च ४मा०-सव को पानी से पीस लुगदी वनालो। अब पतीली में थोडा घी छोड़ यह मसाला मन्द-मन्द भून लो। जव मसाले में दाने पड़ने और सुर्ख हो कर खुशबू आने लगे तब उस में वे तले हुए बालू डालकर पल्टे से चला कर उन में मसाला लपेट दे। और ढांप दे पांच मिनिट बाद यदि रसेदार बनाने हैं तो अन्दाज़ का पानी और नमक डाल दे। और मुँह ढांप दे। जब दो-तीन उफान पाजाय तो पतीली को चूल्हे से उतार कर अंगारों पर रख दें और २ छु० दही डाल कर दम में पकने दे। जव आलू फट जाय तब नीबू या पिसा श्रमचूर छोड़ कर किसी बर्तन में निकाल ले। ये आलू खूब स्वादिष्ट बनते हैं। 1
पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१०७
दिखावट