तीन तो०, सेंधा नमक ३ छटांक, इलायची का चूर्ण १ छटांक और अदरक एक पाव ले कर पहिले सिरकाले कर चूल्हे पर गर्म करे, जव खौलने लगे तो नमक, अदरक, किशमिश छोड़ दे। जय तीन सेर सिरका जल जाये। तो सब मसाला छोड़ नीचे उतार लो। और अमृतवान में भर लो। हाजमेदार होता है। निम्बू-- अगहनी निम्बू ले कर २ घण्टे पानी में भिगो चाकू से चार- चार फाड़ियों में काटे, फिर खारी नमक, काला नमक, साम्हर नमक १-१ छटांक, सेंधा नमक पाव भर, सोंठ, मिर्च, पीपल एक- एक छटांक, धनिया आध पाच, सफेद जीरा एक छटांक, लोंग एक तो०, स्याह जीरा १॥ तो, जवाखार १ छटांक और सुहागा १ तो० ले पीसो सब मसाला निवुओं में भर वाँध दो और चीनी के बर्तन में डाल निम्बुनों का इतना रस डाल दो कि वह डूब जाए। आक- . का अचार भी अत्यन्त गुणकारी बनता है, यह अचार मुख रोचक होने के अतिरिक्त पेट की समस्त व्याधिओं को दूर करता है। विधि-अध पके पाक के पत्ते पाच भर ले खौलते हुए पानी में छोड़ दे । १५ मिनट बाद निकाल, सौंफ, धनिया, सोंठ बारह-वारह तो०, हींग १ तो०, बड़ी इलायची तोले, स्याह जीरा- २ तो०, सफेद जीरा २ तोले, दालचीनी ६ तो०, काली मिर्च १० तोले, पीपल ३ तोले, लौंग'एक तो, सूखा पोदीना २ तो, जायफल ४ तो०, जावित्री ४ माशे, जवाखार चार माशे और सैन्धा नमक १ तो० पीस कर उन पत्तों पर छिड़क दे। फिर ऊपर-नीचे जोड़ चीनी के बर्तन में रख ऊपर से प्राध सेर नीबू का रस छोड़ दे, १० दिन में तैयार होंगे।
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