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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१५८

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- वालि, अरारूट-- वालि और अरारूट प्रथम गर्म पानी में अच्छी तरह घोल लेना-फिर दूध और मिश्री मिला कर औटाना। साबूदाना- साबूदाना बनाने की भी यही रीति है पर उसे कुछ देर ठण्डे पानी में भिगो रखना आवश्यक है। चावल का पथ्य-- पथ्य के लिये पांच गुने पानी में चावल सिजाना । खूब गल जाने पर माण्ड निकालना। तरकारी- तरकारी में थोड़ा घृत का वधार, जीरा, हल्दी और सेंधा नमक तथा पीछे ताज़ा कागज़ी नीवू डालना। दाल का जूस- मूंग और मसूर के जूस के लिये दाल अठारह गुने पानी में उबालना। नमक, मिर्च, मसाला कम डालना। दो तीन तेजपात, थोड़ी काली मिर्च और पिसा हुआ धनिया के सिवा कोई मसाला न डालना। आटे की रोटी- पहले एक घण्टे तक उपयुक्त पानी में भिगो रखना। फिर खूब मसल कर गोला बनाना । तथा वर्तन में पानी चूल्हे पर चढ़ा कर वह गोला १५-२० मि० तक उबाल कर वाहर निकालना फिर उस गोले को अच्छी तरह मसल कर पतली रोटी बना कर सेक लेना । यह रोटी जल्दी हजम हो जाती है।