..श्यक है। सर्दी में प्रायः सभी मोजा पहनते हैं। पर उन्हें स्वच्छ शायदे ही कोई रखता होगा ! जूते ज्यादा कस कर न पहने जायँ, जिस से पैर विकृत हो जाएँ, यह आवश्यक है कि मोजा २४ घण्टे पहनने के बाद में धो डाला जाय । भीतर की गंजी भी प्रति दिन धोना आवश्यक है। कपड़े की सम्हाल भिन्न-भिन्न प्रकार के कपड़ों की सम्हाल भिन्न-भिन्न प्रकार से करनी पड़ती है। फलालेन, वनात, कश्मीरा, सर्ज, कम्बल आदि ऊनी कपड़े जितने भी होते हैं, उनको उपयोग में लाने के पश्चात खूब अच्छी तरह किसी वस्त्र या बुरश से साफ कर देना चाहिए, जब धूल-गर्द आदि भाड़ दी जाय तो उनको खुली हवा या धूप में रख देना चाहिए जिससे उसके दुर्गन्धित परमाणु नष्ट हो जाएँ इसी भाँति रेशमी तथा सूती वस्त्रों को भी करना चाहिये, इन वस्त्रों को सन्दूक मैं या किसी गठरी में वाँध कर रखना अच्छा नहीं होता, एक तो उसमें वायु नहीं पहुँचती, जिस में कीड़ा लगने का भय रहता है, दूसरे-वस्त्रों को सीधा न रखने से उनकी तह टूट जाती है और उनमें शिकन पड़ जाती है, जिससे वस्त्र की शोभा मिट जाती है, अतः उन्हें श्रालमारी में रखना चाहिये जो इसी काम के लिये बनी हों । ऋतुत्रों के अनु- सार वस्त्रों को स्वच्छ वायु और धूप दिखाते रहना चाहिये। कपड़ों को कीड़ों से कैसे बचाया जाय- शरद ऋतु के अनन्तर प्रायः गर्म कपड़े प्रयोग में नहीं लाए जातेः वह लगभग आठ महीने सन्दुकों में भर कर बिल्कुल असावधानी से रख दिये जाते हैं। जिस से उन में कीड़ों के उत्पन्न होने से उन बहुमूल्य वस्त्रों का सर्वथा नाश हो जाता है, वे -
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