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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१६४

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कौड़ी के काम के भी नहीं रहते, कपूर, पीसी हुई लैंग, तेफ्थ- लिन, चन्दन का बुरादा. सीडर की लकड़ी, फिटकरी का चूर सांप की कंचली, नीम और दोना मरुवा की पत्ती, काली मिर्च का चूर्ण, इत्यादि से पदार्थ हैं, जिनकी उग्र गन्ध से कपड़ों में कीड़े नहीं लगते । सफेद कपड़े की छोटी-छोटी थैलियाँ बना कर उन में उपर्युक्त चीजों में से एक चीज़ को भर दो और कपड़ों की तहों में रखते जायो, जिससे कपड़ों में दुर्गन्ध उत्पन्न न होगी, दुर्गन्ध के न होने पर कीड़ा भी नहीं लगेगाः और वस्त्र भी सुरक्षित रह सकेंगे। कम्बल इत्यादि बड़े कपड़ों को तहा कर सन्दूक के अन्दर कभी नहीं रखना चाहिये, परन्तु जहां तक हो सके वाहर ही रहने देना चाहिए, यदि आलमारी में बन्द कर के रखना हो तो उपयुक्त यत्न के साथ रखें। उपर्युक्त उपायों के अतिरिक्त वस्त्रों को समय-समय पर हवा लगाते रहना भी अधिक आवश्यक है। सर्ज, कश्मीरा श्रादि ऊनी कपड़ों को धोबी से न धुलवा, घर मे धोना विशेप लाभ दायक होगा, क्योंकि उनके यहाँ धुलाने रो वस्त्र शीघ्र ही गल जाते हैं । अतः घर में ही गर्म पानी में सावुन उबाल धोना ही पर्याप्त होगा। कपड़े का धोना कपड़े धोना प्रत्येक लड़की को भली भाँति सीखना चाहिए और निरालस्य होकर कपड़े धोने का अभ्यास भी करना चाहिए। धोबी कितना कष्ट देते हैं तथा धोवी पर कितना खर्च होता है यह सभी जानते हैं, फिर-धोबी लोग सब प्रकार के छूत के रोगियों के कपड़ों को एक साथ रख कर धोते हैं