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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१७४

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वर्तन, भिन्न-भिन्न प्रकार की सादी और पाराम कुसियाँ, कौंच, प्पलंग, मेज़, पर्दै, मूर्तियाँ आदि चीजें करीने से सजी होनी चाहिए। फर्नीचर यदि सैकिंड हेन्ड भी ले लिया जाय तो हर्ज नहीं- 'पर देख लेना चाहिए कि उसकी लकड़ी या जोड़ खराब तो नहीं हो गये हैं । कपड़े, पर्दै, मद्दे, तकिए आदि कदापि पुराने न लेने चाहिए। वाल-बच्चों वाले घरों में सामान को ढंग से रखना और भी कठिन हो जाता है। जो बच्चे सुरक्षित नहीं होते वे प्रायः ऊधम मचाते और चीजों को तोड़ते-फोड़ते रहते हैं। इसके लिए हमारी सम्मति है कि घर में फालतू सामान रखना ही न चाहिए। लकड़ी के पलंगो की अपेक्षा लोहे के पलंग अच्छे होते हैं । खास कर स्प्रिंग वाले। लोहे के पलंगों पर पहले मोटा कागज़ विछा कर दरी गद्दे विछाने चाहिए वरना जंग लग जाने का भय रहता है। चमड़े की चीजें भी नई ही खरीदनी श्रावश्यक है । और समय- समय पर इन्हे धूप-हवा दिखाते रहना चाहिए। सामान की सफाई यह बात तो बहुधा देखने को बड़े-बड़े अमीर घरानों में भी मिलती है कि वह कीमती सामानों को खरीद तो लेते हैं पर सजाना नहीं जानते। प्रायः दरी या जाजम पर मोमबत्ती के दारा गिर जाते हैं। ये यदि तुरन्त ही साफ़ न कर दिए गये तो फिर कठिनाई से छूटते हैं। इसलिये इन दागों को मन्द धार की छुरी से तत्काल छुटा डालना चाहिए । इसके बाद उस पर काराज़ का एक टुकड़ा रख