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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१८७

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१७-अगर सफेद कागज पर डाली हुई इत्र की बूंदें आग पर सेकने से उड़ जाएँ तब तो असली, अन्यथा नकली समझना चाहिये। अध्याय आठवाँ सुई, कसीदा और चित्रकारी सुई और कसीदे का काम ६ प्रकार का होता है। १-साधा- रण जैसे अँगरखा, कुर्ता, दुपट्टा, चोली, दामन, बटुआ आदि सीना। २-जाली पर कढ़ाई करना, ३-रेशमी डोरे और कलावत्तू का काम करना, ४-सुजनी आदि बनाना ५-सलमे सितारे का काम, ६-कटाव का काम । डोरे और सलाई से मोजे गुलुवन्द बुनना, फीता, बेल, बटुप की डोरी गूंथना, माला, हार गूंथना, फूलों के गहने वनाना, माला, पहुंची आदि पटवे की भाँति पोलेना इत्यादि पिरोना कहाता है। गोखरू वनाना, ठप्पे बनाना, किरन बनाना या आदि काम भी है। ये सब काम स्त्रियों को सीखने चाहिएँ। इसमें खर्च कुछ भी नहीं। सिर्फ कैंची, सुई, डोरा, वेडा और गज की ही जरूरत है। सीने की रीति-सुई को अंगूठे और विचली उँगली से थामते हैं और अंगूठा और बीच की उंगली से सुई को दवाकर उत्तू करना fue