सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

८-लिखने की निब और सीने की सुइयाँ यदि काम न करें, तो उनको दियासलाई की आग पर कुछ सेकेण्ड रखना चाहिए। ९- नीबू को चीरने से पहले यदि थोड़ी देर तक गरम पानी में छोड़ दिया जाय, तो उससे रस अधिक निकलेगा। १०--यदि चाकू के फल तथा अन्य ऐसी ही वस्तुएँ साफ करनी हों तो वारीक नमक रगड़ना चाहिए । फिर शिमाई ( Chanois leather ) रगड़ने से खूब चमक आजाती है। ११--यदि शीशे के बर्तन में कोई गर्म वस्तु रखनी हो तो उसके नीचे गीला कपड़ा रख लेना चाहिये जिससे टूटने का विल्कुल डर न रहे। १२--अगर गख को छान तारपीन के तेल में मिला लिया जाय तो वह पालिश लोहे तथा पीतल की चीज़ों को कर देती है। १३--सब्जी पकाते समय उसमें एक चम्मच चीनी डाल दी जाय तो उसका रंग हरा ही बना रहेगा, नथा स्वाद भी अधिक बढ़ जायगा। १४- यदि पानी में डाली हुई शहद की बूंद ज्यों की त्यों धनी रहे, तब तो असली, अन्यथा वनावटी समझनी चाहिये। १५--दूध की परीक्षा यह है कि एक शीशी में असली दूध, दूसरी में नकली दूध डालकर तोल लेना चाहिये, जो हलका होगा वही नकली समझना चाहिए । १६-सोने के गहनों पर नाइट्रिक एसिड (Nitric Acid) की दो बूंदें डालें, यदि डालते ही सफेद रंग पर्दै जाय तो सोने में मिलावट समझनी चाहिये। खूब साफ