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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१९०

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करलें तो भली भाँति अपने घरों को सजा सकता हगवलायत्तः, में चित्र विद्या की बड़ी कद्र है। वहाँ एक एक चित्र दो दोलाख र रु० को विकता है। भारत में भी भारी २ चित्रकार हो गये हैं, और अब भी हैं। उनके चित्रों का भी बहुत मूल्य है। चित्रकारी सीखने से प्रथम साधारण ड्राइंग का अभ्यास करना चाहिए । इसके लिये स्कूल की अभ्यास की कापियाँ ठीक होंगी। धीरे २ जब अभ्यास बढ़ जाय और सीधी लकीरें बनने लगें तब अन्य चित्रों की नकल करना शुरू करो। किसी भी चित्र की नकल करने की सुगम रीति यह है कि उस चित्र पर छोटे २ चोकोर खाने खींचो। और फिर जिस कागज पर दूसरा चित्र बनाना है उस पर जितना गुना बड़ा बनाना हो उतने गुना बड़े खाने खींचो। फिर प्रत्येक खाने में नम्बर डालो । अब धीरे-धीरे एक-एकखाने की लकीर वनाए चली जानो। धीरे २ चित्र अच्छा बनने लगेगा। अभ्यास होने पर बिना खाने भी बना सकोगी। रंग भरना दुसरी कला है। ये रंग और ब्रश बाजार में विकते हैं। इस विद्या को किसी उस्ताद से सीखना चाहिए। फोटोग्राफी भी सुन्दर कला है-इसके केमरे घटिया वढ़िया सर्वत्र मिलते हैं, और उनसे चित्र उतारना भी आसान है। एक महीने में फोटोग्राफी मजे में सीखी जा सकती है।