उसोई बनाने और वर्तन मांजने आदि के कामों से कभी अरुचि न प्रकट करना यदि नौकरों से भी काम कराना हो तो स्वयं निगरानी अवश्य रखना। ८--ऐसा कोई धन्धा जरूर सीख लो जिससे मुसीबत के समय उससे काम ले सको और बिना किसी का आसरा देखे जीविका निर्वाह कर सको। ९-कभी कडुआ न बोलना, कभी किसी की हँसी न उड़ाना, कभी रूप, धन, सन्तान का घमण्ड न करना, कसम कभी न खाना, ज्यादा सहेलियाँ न पैदा करना। उलाहना किसी को न देना। किसी की निन्दा न करना । कभी घर की बुराई ज़बान पर न लाना । किसी चीज़ पर डाह न करना। १०-पड़ोसियों और रिश्तेदारों तथा पति के मित्रों की खातिर- दारी, प्रेम और लगन से करना । किसी भूखे अभ्यागत को खाली न लौटाना। ११- अपने से बड़ों को प्रातःकाल उठकर प्रणाम करना, बजने वाले गहने न पहनना, इतने ज़ोर से न बोलना कि बाहर अावाज सुनाई दे। व्यर्थ खिड़की झरोकों पर से न झाँकना । गली में फेरी वालों को बुलाकर उनसे कोई चीज न खरीदना। १२-व्यर्थ किसी के घर न जाना, रात को किसी के विस्तर पर न बैठना न अपने पर किसी को बैठने देना। अकारण अपरिचित पुरुष से बातें न करना, मनुष्यों की भीड़ में अकारण ही मतजाना। मेले ठेले और, भीड़ भदक्के में जाने का शौक न करना। १३-गन्दी पुस्तकें न पढ़ना, गन्दी बातें न कहना सुनना, न
पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१९९
दिखावट