पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/२४

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जिन कन्याओं के माता पिता सम्पन्न हों और उन्हें पुत्र की भांति उच्च शिक्षा दे सकते हों, जो अपनी सन्तान को सर्व साधारण की अपेक्षा अधिक उन्नत कर सकने की क्षमता रखते हो, जिन्हें लोकाचार की पर्वा न हो, उन्हें अवश्य ही अपनी कन्याओं को उच्च श्रेणी की विदुषी बनाना, और उच्च पदों पर पहुँचाना चाहिए।

परन्तु साधारणतया कन्याएँ विवाह होने तक पाली जाती हैं, और वे आदर्श गृहणी बनें यही लोगों का उनके लिये लक्ष्य रहता है। ऐसी दशा में कन्याओं को अत्यन्त विचार पूर्वक उत्तमता से शिक्षा देनी चाहिए।

छोटी बालिकाओं की शिक्षा का प्रारम्भ कहानियों द्वारा होना चाहिए। कहानियाँ सुनाई जा सकती हैं। सर्व प्रथम उन्हें पशु पक्षियों की छोटी छोटी कहानियाँ जो अधिक से अधिक ५ मिनट में समाप्त हो जायँ सुनानी चाहिए। फिर बालिका जो शंका समाधान करे उसका खूब विस्तार से उत्तर देना चाहिए। कहानियाँ हमेशा रात को सुनानी चाहिए। कन्याओं को शीघ्र ही कहानी सुनने की ऐसी चाट पड़ जायगी कि ३ वर्ष की बच्ची का भी सोने का समय नियत हो जाएगा।

५ वर्ष की होने पर उन्हें राजा, रानी, व्यापारी तथा घर-गृहस्थ सम्बन्धी, कुछ आश्चर्य भावों से युक्त, कुछ हास्य विनोद युक्त कहानियाँ सुनानी चाहिए। कभी-कभी मूर्खों की, शेख चिल्लियों की ऐसी कहानियाँ जिन्हें सुन कर पात्रों की भूलों को वे स्वयं ही समझ जायँ, सुनानी चाहिए।

८-९ वर्ष की होने पर उन्हें ऐतिहासिक कहानियाँ सुनानी चाहिए। प्रथम रामायण, महाभारत और पुराण सम्बन्धी पीछे

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