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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/२५

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१० वर्ष की बालिका को आधुनिक ऐतिहासिक कहानियाँ सुनाई जाँय। राजपूतों, मरहठो, वीरों, साधुओं, धर्मात्माओं और देशभक्तों के जीवन की उत्तम उत्तम घटनाएँ। कभी-कभी यात्राओं के वर्णन, उनके साथ भौगोलिक विषय, भिन्न भिन्न प्रांतों की विशेषताएँ रहन सहन, ऋतु फल आदि के वर्णन विस्मय, हास्य, विनोद, उत्साह आदि भावों का पुट देकर सुनाए जाएँ। बड़े-बड़े नगरों के वर्णन, रेल यात्राओं, जल यात्राओं के भेद, यात्रा सम्बन्धी सावधानियाँ आदि सब बताई जाँय।

१२ वर्ष से ऊँची आयु की कन्या को जीवनचरित्र और इतिहास के संपूर्ण वर्णन सुनाए जाँय। उन्हें बहस करने, प्रश्नोत्तर करने और शंका समाधान करने का पूरा पूरा मौका दिया जाय। इस प्रकार यह मौखिक शिक्षा रात्री को शान्तभाव से निरन्तर जारी रहनी चाहिए।

सोलहवाँ वर्ष प्रारम्भ होते ही, यदि कन्या की सगाई हो गई हो तो उसे ससुराल के जीवन सम्बन्धी कहानियाँ सुनाई जा सकती हैं। इनमें बहुत सी फूहड़ों की कहानियाँ बहुत सी लड़ाकाओं की कहानियाँ, बहुतसी सतियों और देवियों की कहानियाँ सुनानी चाहिए। कुलटा और विधवाओं की चर्चा, या दूषित चरित्र वाले व्यक्तियों की चर्चा उनमें न हो।

५ वर्ष की बालिका को उधर अक्षराभ्यास कराना चाहिए और इधर कुछ छोटे २ भजन, दोहे, कविताएँ, पहेलियाँ कंठस्थ करालीं जायँ। ८ वर्ष की बालिका को सन्ध्या वन्दन के मन्त्र, कुछ श्लोक याद हो जाने चाहिएँ और वे स्नान के बाद प्रातःकाल तथा सायंकाल इनका एकाग्र होकर पाठ करने का अभ्यास करे।

हमारी खुली सम्मति है कि लड़कियों को अक्षराभ्यास के लिए प्रारम्भ में ही स्कूल में न भेजे। इससे उनका बहुत सा

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