और सोवैं। यदि कुर्सी मूढ़ों पर बैठना हो तो कदापि पैर ऊपर करके न बैठें। यदि वे ऐसा करें तो उन्हें तत्काल रोक दिया जाय। दो चार स्त्रियां या पुरुष बैठे बातें कर रहे हों तो वे बीच में घुस कर न बैठें। वरन् वहाँ से चली जाँय और बुलाने पर आकर विनय और सभ्यता से बड़ों को प्रणाम करके बैठें, जो कहा जाय उसका विनम्र उत्तर दें। अकेले में भी बैठती बार कपड़ों की सम्हाल रक्खें। साफ़ और क़ीमती साड़ी सिकुड़ न जाय, गन्दी न हो जाय, कोई चीजें जेवर आदि टूट न जाँय इसका पूरा ध्यान रखें। पलँग पर या चौकी पर, जब वहाँ कोई बड़ा सम्बन्धी बैठा हो तब पट्टी पर पैर नीचे करके होशियारी से बैठना चाहिए।
सोने के लिये कभी उन्हें नंगा न होना चाहिए। सदैव हल्का वस्त्र पहन कर सोना मुनासिब है। दूसरी लड़की, स्त्री या बालक के साथ एक बिस्तरे पर कभी न सोना चाहिए। मुँह ढाँप कर सोना भी ठीक नहीं। ऐसे वस्त्र पहन कर जिसके हट जाने का अन्देशा हो सोना अनुचित है।