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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/३५

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मत बोलो। ४-किसी की बोली की नकल मत करो। ५- कम बोलो। २-वस्त्रों के सम्बन्ध में ५ नियम- १-साफ़ वस्त्र पहनो । २-उन्हें फटते ही सीलो और मैला होते ही स्वयम् धोलो।३-बहुत चटकीले और कीमती वस्त्र मत पहनो। ४-न अपने कपड़े किसी को दो, न किसी के लो। ५-सदा स्वदेशी पहनो। ३-नित्य कर्म के सम्बन्ध में ५ नियम- १-सूर्य निकलने से प्रथम उठो और रात को १० बजे से प्रथम सो जायो। २-दिन में विना कारण मत सोयो । ३- समय पर स्नान, शौच, भोजन और सब काम करो। ४३ दिन भर प्रसन्न रहो और फुर्तीली बनी रहो । ५-घर की सफ़ाई में अपने हाथ से अवश्य हिस्सा लो। ४---शील सम्बन्धी ५ नियम- १-सदैव माता पिता और गुरुजन के प्राधीन रहो। २-झूठ चोरी, पाखण्ड और घमण्ड कभी न करो। ३-सहेलियों और भाई बहिनों से प्रेम और दया का वर्ताव करो। ४-सम्ब- न्धियों और महमानों के सन्मुख सावधानी से ध्यान रखो कि कोई हरकत न होजाय । ५-सबका काम कर दिया करो। ५-धर्म सम्बन्धी ५ नियम- १-रोगी, अतिथि, और छोटे बच्चों की सब प्रकार की सेवाएं प्रेम से करो, उनके किसी भी काम ले घृणा न करो।२-पालतू पक्षियों और भिकारियों पर दया और उदारता का भाव रखो। ३-नित्य सन्ध्या चन्दन करो और सदैव परमेश्वर को अपना