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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/३६

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रक्षक और अपने अति निकट समझो। ४-पराए भेद मत खोलो। ५-मन, वचन कर्म से सच्ची बनी रहो। ६-शिक्षा सम्बन्धी ५ नियम- अपना श्राधा समय खेल, कूद, मनोरंजन और घर के धन्धों में तथा आधा पढ़ने लिखने में लगाओ। २-जिससे जो बात सीखने को मिले आदर और यत्न से सीन लो। ३-अपनी विद्या का घमण्ड न करो,न पण्डिताई दिखाओ वरन् अपनी विद्या को छिपाने की चेष्टा करो।४-गन्दी और अश्लील पुस्तके न पढ़ो।वे ही पुस्तकें पढ़ो जिन्हे माता, पिता, भाई, - गुरु चुनकर तुम्हें दें। ५-एकाध दैनिक, मासिक,और सप्ता- हिक पत्र चिला नागा पढ़ती रहो। ७-स्वास्थ्य सम्बन्धी ५ नियम- १-थोड़ा, नियमित, सादा, ताज़ा और उत्तम भोजन करो। २-स्वच्छ, थोड़ा जल पित्रो, ३-शरीर को भली भांति शुद्ध रखो और सदा खुली हवा में रहो, कसे वस्त्र मत पहनो । मुह ढांप कर मत सोओ। ४ कसरत अवश्य करो। ५-मिठाइयाँ, मसाले, चाय, अचार आदि मत खायो। ८-बुद्धि सम्बन्धी ५ नियम- १-विना विचारे कुछ काम मत करो । २-एकाएक दूसरों की राय मत मानो, न उनका विश्वास करो।३-मन का मेद सब किसी से मत कह दो। ४-ऐसा कोई काम मत करो जिसे किसी से छिपाना पड़े। ५-सदैव अपने से बड़ों की और प्रतिष्ठित जनों की संगति करो। ९--कला सम्बन्धी ५ नियम- १-गाना बजाना।२-सीना पिरोना ३-चित्र विद्या ४-रोगी -