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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/४३

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जल शुद्ध करने की रीतिया १-पानी को उबाल कर छान कर मिट्टी के कोरे, धुले हुए घड़े में भरकर रखदो। २--परमैगनेट आफ पोटाश (लाल दवा) पानी में घोलने से उसके सब कीड़े मर जाते है, कुओं का पानी इसी से साफ़ किया जाता है। उसे बहुत थोड़ा डालना चाहिये । यह एक जहर है। ३-मामूली सफ़ाई-ईट. पत्थर या बालू रेत आग में गर्म करके वुझा देने और फिर छान कर रख ने से भी हो जाती है। ४-फिटकरी या निर्मली के बीज पीस कर पानी में घोल देने से गाद नीचे बैठ जाती है। पानी के बर्तन-पानी मिट्टी या तांबे के बर्तनों में रखना चाहिए। मिट्टी के बर्तन में पानी साफ़ और ठन्डा रहता है क्योंकि उसमें हवा जाती रहती है। अगर बर्तन के सूराख बन्द हो जॉय और पानी की तरी बाहर न आवे तो बर्तन बदल देना चाहिए। ताँबे के बर्तन भी जल को निर्मल रखने में बड़े उपयोगी हैं। हर रोज़ प्रातःकाल ताजा पानी भर कर रख लेना चाहिए और वर्तन हर वक्त ढके रखने चाहिए । बासी या कई दिन का घरा हुआ पानी नहीं पीना चाहिए। हवा मनुष्य जीवन को तीन वस्तुएँ बहुत ही आवश्यक हैं, साफ पानी और उत्तम भोजन ।