परिश्रम करने की आदत तथा निरालस्यता ये गुण होने चाहिए। २-उसे जानना चाहिये कि भोजन का उद्देश्य तुधानि वृत्ति है। इस के द्वारा, दिन भर के परिश्रम करने से ह्रास हुई शक्तियों को पुनः प्राप्त करना होता है। अतः उसे इस पर विचार करना चाहिये कि कौन कौन चीजे हमारे लिये उपयुक्त होंगी। ३-उसे अपने परिवार वालों के स्वास्थ्य और शारीरिक वल एव प्रकृति का भी ज्ञान होना चाहिए और वैसे ही खाद्य पदार्थ बनाने चाहिये जो उनके लिये स्वास्थ्य एवं बल वर्धक हों। ४-उसे भिन्न २ ऋतुओं के स्वभाव, उनमें उत्पन्न होने वाले फल भूल, साग सब्जी, उनके गुण दोष तथा उन्हें भाँति २ से पकाने की विधियां ज्ञात होनी चाहिए। उसे यह भी ध्यान रखने की आवश्यकता है कि वालक, वृद्ध, रोगी, युवा और नौकर चाकर इन सबके लिये उपयुक्त क्या'२ भोजन हो सकता है। आवश्यक बाते १-प्रत्येक चीज़ को चीन फटक कर साफ़ करके चन्द पात्र में हवादार स्थान में रक्खो। उसमें कीड़े मकोड़े, चूहे, मक्खी आदि न जाने पावें। २-अन्न और दूसरी चीजें फसल में इकट्ठी लेकर रखली जाय। उन्हें सावधानी से रक्खा जाय । जो चीजें नित्य खरीदने की हैं वे उतनी ही ली जाँय कि बासी न बचें। गेहूँ,
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