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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/५९

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३ चूष्य- कसैला भोजन करना चाहिए। प्रकार की दृष्टि से भी खाद्य पदार्थ ६ प्रकार के हैं-- १ पेय जैसे दूध । २ लेह्य-जैसे चटनी । -जैसे आम आदि। ४ चम्य जैसे रोटी आदि । ५भन्य- हलुवा श्रादि । ६ भोज्य-चावल, खीर आदि । समस्त रस और पदार्थ,इन्हीं के अन्तर्गत हैं। रसोई की तैयारी रसोई बनाने में हाथ डालने से पहिले सब आवश्यक सामग्री पास जुटा लेनी चाहिए । सबसे प्रथम यह बात देखनी चाहिए कि किस प्रकार की रसोई बनानी है। पक्की, कच्ची या फलाहार । फिर उसकी सब जिन्स, जितनी आवश्यक हो जुटा लेनी चाहिए । यदि कच्ची रसोई बनानी है तोफी आदमी के हिसाब से ॥ छंटाक दाल, डेढ़ पाव भाटा, १ छ० तरकारी, १० घी, १ छु० चीनी, १७० चावल इतनी जिन्स लेनी चाहिए । पक्की रसोई का भी अनुमान ऐसा ही रहना चाहिए। इसके बाद इस बात पर विचारनाचाहिए कि क्या क्यामसाले दार होंगे। उन सबको निकालकर तश्तरी में सजा लेना चाहिए। बाज़ार से आने वाली चीजों को मॅगाकर साफ़ कर पास रख लेना चाहिए, बर्तन भी भिन्न प्रकार के जैसे दरि हो संग्रह कर लेने चाहिये, यदि ऐसा न किया जायगा तो बड़ो गड़- बड़ होगी। जल्दी में कौन चीज़ कहाँ है, कौन चीज़ वाज़ार से दौड़कर लानी है, इसका प्रवन्ध होना कठिन है। नतीजा यह होगा कि रसोई भी अच्छी न बनेगी और परेशानी भी काफ़ी होगी । इसलिये सब चीजों को यथाक्रम पास रख लो; एक बड़ी चालटी में साफ़ जल, एक लोटा भी पास रखो। सब चीजों पर एक दृष्टि डाल देखो कि कुछ कोर कसर तो नहीं रह गई। जो