को जो शक्ति उसकी क्षय होती है वह शक्ति फिर प्राप्त हो । कौन वस्तु दिमागी शक्ति बढ़ाती है और कौन शारीरिक, यह बात जानना प्रत्येक बुद्धिमान के लिए आवश्यक है केवल व्यवसाय की दृष्टि से ही नहीं शरीर की शक्ति और प्रकृति के आधार पर भी भोजन का निर्णय करना चाहिए। इसके सिवा देश काल के ख्याल से भी भोजन भिन्न भिन्न होने चाहिए । सर्दी गर्मी और वर्षा में यद्यपि ऋतु के फल और शाक आदि कुदरती तौर पर मनुष्य को ठीक रास्ते पर रखते हैं, पर. फिर भी मनुष्य कुऋतु के फलों और तरकारियों पर बहुत ही रुचि रखते हैं। देशों की दशा भी भिन्न भिन्न है। गुजरात, बंगाल, . दक्षिण, बम्बई, पंजाब, यू. पी. आदि प्रदेशों में रहने वालों के भोजन भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं-परन्तुं इन देशों में रोजगार , धन्धे के लिए रहने वाले लोग उस देश की जलवायु की विल- कुल पर्वाह न करके अपने ही देश का अभ्यस्त भोजन करते हैं और रोगी पड़ते हैं । उदाहरण के लिए कलकत्ता, वम्बई को लीजिये, यह अनूप देश है यहाँ की हवा तर गर्भ है । पाचन शक्ति यहाँ कम हो जाती है । बम्बई का पानी लग जाना प्रायः प्रसिद्ध है। वहाँ के मूल निवासी और गुजराती, महाराष्ट्र तथा बंगाली लोग चावल साग आदि सुपाच्य आहार लेते हैं परन्तु मारवाड़ी जो ख़ुश्क देश में बहुत सा घी दाल में डाल कर खाने के अभ्यासी हैं। बम्बई कलकत्ते में भी उसी तरह ज्यादा खाते रहते हैं।यू. पी. और पंजाब वाले उर्द की दाल को नहीं छोड़ते। इसका परिणाम यह होता है कि ये लोगमन्दाग्नि, मेद वृद्धि आदि रोगों में फंस जाते हैं। - इसलिये आवश्यक है कि देश, काल, ऋतु, शरीर, प्रकृति और व्यवसाय के आधार पर भिन्न भिन्न प्रकार के भोजनों को
पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/६१
दिखावट