1 गर्भ दायक, भारी, गर्म दीपन और बलवर्धक हैं । वर्षा ऋतु में लैन्धे नमक के साथ, शरद ऋतु में मिश्री के साथ, हेमन्त में नमक, हींग अंदरख और मिर्च के साथ, शिशिर में और बसन्त में सरसों के तेल के साथ, तथा ग्रीष्म में गुड़ के साथ सेवन करना चाहिए। नारंगी- अग्निवर्धक, रुचिवर्धक, हृदय को हितकारी, रुचिकारी, थकान और शूल को नाश करने वाली है। खट्टी नारंगी, बहुत गर्म, दुर्जर और दस्तावर है। कचरी- कच्ची कचरी अग्नि वर्धक है। पक्की गर्म और पित्त कारक है। सूखी कचरी, रूक्ष, कफ नाशक, अरुचिकारक है । जड़ता नाशक, रोचक और दीपन है । सैन्ध कचरी जुकाम को फायदा करती है। खरबूजा- मूत्र लाने वाला, बलदायक, दस्तावर, चिकना, ठण्डा और वीर्य वर्धक है। खट्टा खरबूजा पिशाव में जलन पैदा करता है। । तरबूज- काबिज, ठण्डा, भारी और दृष्टि का नाश करने वाला है। प्यांस, दाह, थकान को दूर करना और वीर्य को पुष्टि देता है। खीरा- रुचिकारक, मधुर, शीतल, भारी तथा भ्रम को दूर करने - वाला है
पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/७२
दिखावट