1 इन्द्रिय वासना में फंस कर स्त्रियों को विलास की चीज़ बनाया. और उन्हें सव भांति से जकड़ कर विवश कर दिया। परंतु गत २५ वर्षों में कन्याओं का कितना उद्धार हुआ है इस विषय पर गम्भीर विचार करने की आवश्यकता है। आज हज़ारों कन्याएं १८-२० वर्ष की आयु तक कुमारी रह कर उच्च शिक्षा पाकर सरस्वती की उपासना कर रही हैं, उनका जीवन धन्य और सार्थक हो रहा है। आज लाखों कन्याओं में साहस और तेज आगया है, अब वे बूंघट के जाल को फाड़ चुकी हैं, और वह दिन आ चुका है कि वे पुरुषों ही के समान संसार में सामाजिक अधिकार प्राप्त करेंगी। प्राचीन काल की कन्याएँ १४ विद्या और ६४ कलाऐं जानती थीं; इसकी पुष्टि में हज़ारों कहानियां और किम्वदन्तियां सुनी जातीं हैं- . चौंसठ-कला + पुरानी नीति की पुस्तकों में ६४ कलाओं की चर्चा है। इन कलाओं को सीखकर मनुष्य खूब चतुर हो जाता है, भागवत् में लिखा है कि श्रीकृष्ण महाराज ने ६४ दिनों में ६४ कला सीखली थीं। शुक्रनीति में इस प्रकार ये कलाऐं गिनाई गई हैं:- गन्धर्व शास्त्र सम्बन्धी ७ कलाएं- १-नाचना।२ अनेक प्रकार के बाजे बजाना।३-गहने और कपड़ों को सुघड़ाई से पहनना। ४-अनेक प्रकार के श्रृंगार करना या रूप बनाना। ५-विविध प्रकार की सेज बिछाना और उन्हें फूलों और छपरं खट आदि से सजाना । ६-ताश, शतरंज . --
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