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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/९३

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सो केवल इसी लिए नहीं कि इसे बच्चे तक बड़ी श्रीसानी से हज़म कर सकते हैं और वह स्वभाव से ही सुपथ्य खासकर इसलिए कि उसमें आहार के उपयोगी अनेक तत्त्व हा परन्तु बड़े ही खेद का विषय है, कि ऐसा अमृत पदार्थ-सिर्फ कुछ साधारण असावधानियों के कारण विष के रूप में हमें मिलता है, दूध को दुहने, बाज़ार में बेचने, और काम में लाने के तरीके सारे भारतवर्ष में इतने गन्दे और घृणित हैं कि बाज़ार का अच्छे-से-अच्छा दूध पीने की मैं किसी को सम्मति नहीं दे सकता । बम्बई की म्युनिसिपल्टी ने एक बार बाज़ार से १५०० दुकानों से दूध मंगाकर जाँच की तो सौ में ९० नमूनों में धूल, मिट्टी, मैल और मरे, सड़े, गले, मक्खी-मच्छरों के अंग तथा चार बटे पाँच भाग पानी प्रत्येक नमूनों में मिला पाया गया। जनता का और सरकार का भी यह परम कर्तव्य है कि बाज़ार में विशुद्ध दूध के मिलने के सुभीतों पर विचार करे। १-स्त्री के दूध की अपेक्षा गाय के दूध में तिगुना पोषक तत्त्व है। २-चिकनाई करीब-करीब बराबर है। ३-स्त्री के दूध में शर्करा का भाग गाय से अधिक है। ४-गाय का दूध स्त्री के दूध की अपेक्षा जल्दी खट्टा हो जाएगा, क्योंकि उसमें लवण का अंश अधिक है। ५-भैंस के दूध में सी के और गाय के दुग्ध की अपेक्षा दुगनी के लगभग चिकनाई होती है। ६-बकरी का दूध लगभग गाय के दुग्ध के समान ही होता है। पर उसमें गाय के दुग्ध से कहीं अधिक चिकनाई होती है। जिन पशुओं को मुँह, खुर और छाती की बीमारियाँ होती हैं, उनका दूध दूषित हो जाता है । धाव वाले पशु का दूध भी ८१