पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/१४६

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सूर्य, चन्द्र, तारागण, सब ने मिलकार उराको हंसी उडायो, पर, मानव ने झटका देकर जहता से निज वाह छुडायो, अचरज भरे, टिमटिमाते-से उसने खोले अपने लोचन, जल, थल, अनिल, अनल अम्बर का उसने किया राभय अवलोकन, नुम्बी उसने वोहर जास भर गया है मन में जा लम्बर 23 उसने चारो ओर हिर दुदमनीया बठिन उसने देखी निड 75 लखी प्रकृति को नि दम