पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/२६

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वयालीस वर्षान्त मे (भग्नि दाक्षा फालम) आज पूछा सन्ध्या ने आज करे। हम शोक मनाये मा कि चं? तुम आज कर रहे हो पूरे चालीस और दो अधिक बप, यह बयालीमवा थप अस्तगत रवि के साथ चला, वोलो, किन भावो को लेंचार आयेगी कल ऊपा चपला, जीवन के इतने वर्ष बने धुंधली स्मृतियो के पुज एप, है कदि । क्या देसो हो इनमे तुम कुछ कुछ अपनापन अनूप ? मैने अवलोका साथ्य क्षितिज, मेंने अबलोका अपने को, इतने चत्सर पूरे करते, देखा जीवन के सपने को, हो चला कालिमा से मण्डित सन्च्या-नभ जो या लाल लाल, पर दिमण्डल पर दिखा पूण- निदिापति हँसता उन्नत, विशाल, हम विपपाया जगम के