पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/३९१

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फिर से फिर से क्या आफत आयो। दिल कहा गया वह अपना ? है अजब हाल इस मन का देवे हैं दिन में सपना । सपना, कंपना हिय ने सीखा था आखे सीखी थी पर राना ने सीग्वा है- अब किसी नाम का जपना । अलमस्त सदा अल्हड नवीन फिर आज वह चले इनके- सुकुमार फफोले। थे गये सहज ही कासी गल-फासी ले आये ये, कासी- फरवत के बदले हिम - गासी ले आये थे। विनग मम्नम की अपनी- भूलो- सो अस्थ कहानी,- इनने करके फिर से पहने की ठानी। रे हम विषपाया जनम के