पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/४८२

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तो अभी कहाँ ? अब आने को है तेरा युग तो, अरे प्रवत्तक, अग्र सूचना लेकर आ पहुँचा है सत्य समर्थक, उस युग के निर्माण-पाल का हूँ हो तो होगा अधिनायक, उस प्रभात को गधुर भैरवी का तू ही तो होगा इसी लिए तू टैर हमारी सुन ले, ओ योगी ध्यान स्थित तुझको तो अपने जन-गण का करना ही है बहुत व्यवस्थित । मापक 1 यदि उस पार बुलावे कोई, तो तू गत सुन, मत जा, प्यारे, सेरे बिना, सोच ले क्या-क्या हो जायगे हाल हमारे ? घटाकाशवाणो मत सुन तू, तु मत सुन मलिदान निमन्त्रण, प्राण-हवन को विकट क्रिया का अब तो कर ले रच नियन्त्रण देह नहीं है तेरा इन्धन, प्राण नहीं हैं तेरे बन्धन, जन्म बन्ध से विनिमुक्त तू, ओ जग के तम तोम निकन्दन। हम विषपाया जनमक