पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/५११

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विद्रोही हम ज्योति पुज दुर्दम, प्रचण्ट, हम क्रान्ति-वज के धन प्रहार, हम विप्लव-रण चण्डिका-जनक, हम विद्रोही, हम दुनिवार । हम गरज उठे कर घोर नाद, म कडक उठे, हम कडक उठे, अम्बर में छायी ध्वनि-ज्याला, हम भडक उठे, हम भडक उठे। हम यजपाणि हग कुलियाहृदय, हम दृढ़ निश्चय, हम अचल, अटल हम महाकाल के व्याल स्प, हग शेपनाग के अतुल गरल । हम दुर्गा के भीपण माहर, हम सिंह गजना के प्रसार हम जनक प्रलय रण चण्डी के, हम विद्रोही, हम दुनिवार । हमने गति देकर चलित रिया इन गतिविीन ब्रह्माण्हो यो, हमने ही तो है मृजित दिया रज के इन यतुल भाण्डा को, V50 हम पिपायी गनगर