पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/५१०

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विजित करो निज वाह्य परिस्थिति विजित करो अन्तस्तः अपना, ऐसे जामो, मेरे मानव, फिर न आ सके दुग्ष का मपना । थालो, जागो, भी सब मेरे मानव, जागो मेरे साने जागो, दुस्वप्नो के भय से तुम निज नयन भिगोने चालो, जागो, ओ अपने अतीत का उज्ज्वल गौरव खोने वालो, जागो, निज आकाक्षाओं के मित शत-शत शव ढोने वालो। जागो, मेरे मानव, जिनके हाथ - पाय है सूखे-सूखे, जागो नर-वाकाल करोडो, जागो, मेरे नगे - भूखे। वेन्द्रीय कारागार, बरेली ८ मार्च १९४ हम विषपायी जनम के Vag