पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/५५०

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मेरे साथी अज्ञात नाम मेरे साथी, अज्ञात नाम, तुमको मेरे शत-शत प्रणाम। आये थे तुम तुम एक ध्यान, तुम एक ज्ञान, तुम एक आन, तुम एक वान, तुम इक उफान, तुम इक उडान, तुम गति-निधान, तुम चिर प्रमाण, तुम इन निरन्त पाना - पथ के कटिवद्ध चिरन्तन राहयानी, तुम रथ - विहीन, तुम नि सम्बल, तुम नि साधन, तुम करपाती, तुम दीप्त दृष्टि, तुम नब विसृष्टि, जग का करने भय - भार-हरण, नच रंग - राते, मुद-मद - माते, चिर नग्न चरण अपने को करने स्थय हवन आये थे तुम अज्ञात यज्ञ - हुताशन मे, तुमको मेरे शत शत प्रणाम। मिट गमा तुम्हाग मूर्त रूप, कुछ भी न रहे तव चिह्न शेप, तुम तो इतने निस्पृह निकले, छोडा न रन भी नाम - लेश, अपना सब कुछ तुम होम चले, यश, कीर्ति, नाम तन, हुए रप्त, नाम, तुम नाचे कम विषपाया जनमक ५.०