पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/५५८

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सैनिका सैनिक, वील योल, रंगो मे तेरो, शोणित है या ठप्दा पानी? बतला, तेरे जीवन में है लज बुटोतो या कि जवानो ? यदि तेरी नस-नस में बहती वेगवती शोणित को धारा, गस हुआ है नहीं अभी पदि, तेरे यौवन का अगारा,- तो क्यो शाम रही है तेरे नयनो से यह निपट निराशा? तू क्यो है उदास निज मन में यो मुरझी है तेरी आशा? निकाला था तू जब कि जूझने धारण कर सैनिक का बाना- जब कि वज उठा था रण - धौला, जय गूंजा था युद्ध - तराना,- तय वा तुमसे कहा गया था कि है सुमन ही तेरे मग में? वफा सुझको यह ज्ञात नही था कि है मूल अगणित मारग मे? एम विषपाया जनम के ५२५