पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/६२२

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कौन-सा यह राग जागा कौन-सी यह प्रोति जागो कौन-सा यह राम जागा? कौन-मे ये सारण जागे? कौन उलटा भाग जागा कौन कहता है कि बाहर से लहर पे आ गये स्वर' करुण मेरे गोत ही भर रहे पानाल अम्बर, पर मुझे ये लग रहे हैं अजनबी-रौ किन्तु मनहर, हाय, अपने को जिगाना कर रहा है में अभागा, कौन-सा यह राग जागा? हलचलो के बीच भी वाणो रहे मेरी अम्पित,- और विप्लव भी न कर पाये सुघडमम गीत, खण्डित - साथ भी यह, किन्तु देखा कण्ठ है आक्रोश-गण्डित, और में बस रो रहा हूँ हिचकियो के राग मा गा, कौन-सा यह राग जागा ? हम विषपामी जनम के ५.३