पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/६३३

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अव यह रोना-धोना क्या? , क्या आशा-अभिलापा, बन्दै ? अब यह रोना-धोना क्या? दृष्टि लग नुकी जब कि नियति की, तब जाहू औ' टोना नमा इतना तो हो चुका अभी तक, अरे और अब होना क्या? अपने ही को जव कि खो चुके तब आगे अब खोना वमा ? नप नहाये ताल-तलैया, धोना और निचोना क्या? जब यो थे घर-बार हुए तब बाती-दीप संजोना क्या ? जब आकाश वन चुक चंदुवा, तब छप्पर में सोना क्या जब सग्रह का विग्रह छूटा, तब अब स्वग खिलौना का 7 ? हलके होकर तुम निकले हो, फिर यह बोझा दोचा क्या ? कथरी छोडी, काता छोडा, गठरी और विछोना क्या? तुमो क्व दुकान लगायी? तव उधौदा औ' पौना क्या मस्त रहो, मी रमने जोगी, लुटिया आज हुबौना क्या? हिस्टिकर जेल, उन्नाव २९ माच१९४३ ११४ हग विषपायी जनग