पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/६५२

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? कसा है मृत्यु - धाम? क्या तुम कह सकते हो कैसा है मृत्यु-धाम' देखा है क्या तुमने वह गृह नयनाभिराम ? 7 वहा बना मृत्यु-धाम विस्मृति की कुझटिका जहाँ गगन घर - घर, स्तम्भित कर देती है नयनो का हेर - फेर श्रान्ति जहा आवाहन करती है टेर - टेर, वही कही करती है मृत्यु यूथिवा विराम, वहाँ बना मृत्यु - धाम चिर वातावरण सधन, गह्न अन्धकार लीन,- मंडराता रहता है जहाँ सतत उदासीन, जीवन की ज्योति जहा होती है क्षीण, हीन, भारपना जहा सततं पग धरती थाम-धाम, वहा बना मृत्यु-धामा प्राचीरें,-जो वेष्टित करती है मृत्यु-सदन,- उपल जटित है, उनमें जड़े अश्मकाल-बदन, प्रागण में होता है अन्तथ पन घण्ट - नदन, ऐसे गृह म निवास करती है मृत्यु-धाम, ऐसा है मृत्यु-धाम। लेकर ये अति कठोर निगमता-प उपल,- अदय विश्वकर्मा ने रचा मृत्यु-धाम अचल, काले से अश्मो को माली प्राचीर प्रबल जिसके भीतर दृतान्त करता है हरण-काम, ऐशा है मृत्यु-धाम । हम विषपाया जनमक A