पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/११

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जाती। वह सोचता—मेरा जीवन ही निष्प्राण है। प्यार के बिना मनुष्य का जीवन कैसे सफल हो सकता है?

सैय्यद को विश्वास था कि उसका हृदय सरस और इस योग्य है, कि प्यार उसमें निवास करे; परन्तु वह सुन्दर यौवन किस काम का, जिसमें रहने वाला कोई भी न हो; किन्तु उसका हृदय प्यार करने के योग्य है। इसी कारण उसको बहुत दुःख होता कि उसकी धड़कनें व्यर्थ में क्षीण होती जा रही हैं।

उसने लोगों से सुना था कि जीवन में प्यार का अवसर एक बार अवश्य आता है। उसे भी इस बात का कुछ-कुछ ज्ञान था कि मौत की तरह प्यार एक बार अवश्य आयेगा, परन्तु कब...?

काश! उसकी जीवन-पत्री अपनी ही जेब में होती और झट से वह उत्तर देख लेता; किन्तु उस पुस्तक में तो बीती हुई घटनाओं का ही वर्णन दिया जाता है। जब प्यार आएगा, तो स्वयं ही नये पन्ने जुड़ जायेंगे। वह नये पन्नों के लिए कितना बेचैन था।

संसार की प्रत्येक वस्तु को प्राप्त करना उसके लिए कोई कठिन कार्य नही था। जहाँ भी घूमना चाहे, वह घूम सकता, जब चाहे खा सकता, जब चाहे रेडियो पर गाने सुन सकता और शराब भी पी सकता था, जिसके पीने से उसके माथे पर कलंक लग सकता था। जब चाहे उस्तरे से गाल भी जख्मी कर सकता था; परन्तु फिर भी असफल रहा था, प्यार में।

एक बार उसने बाजार में एक युवती को देखा। उसकी छातियां देखकर उसे ऐसा अनुभव हुआ कि दो बड़े-बड़े सलजम उसके जम्फ़र में छुपे हुए हैं। सलजम उसे बहुत अच्छे लगते थे। शीतकाल में मकान की छत पर जब उसकी माँ लाल-लाल सलजम काटकर सुखाने के लिए हार पिरोया करती, तो वह कितने ही कच्चे सलज़म खा जाया

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हवा के घोड़े