पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/२०

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दिन सवेरे की स्वच्छ ठंडी वायु चल रही थी, जिसमें कम्पनी-बाग़ के सभी पुष्पों की गंध बसी हुई थी। उसने एकदम अपने आपको लड़कियों की जगह उन वृक्षों को देखते पाया, जिन में अनगिनत चिड़ियाँ अपनी-अपनी बोलियाँ बोल रही थीं। खुमार से भरी हुई प्रातःकाल की चुप्पी कितनी भली लगती है? किन्तु जब उसने देखा तो उसे पता चला कि वह एक सप्ताह से लड़कियों के स्थान पर जनता-मेल की मौत जैसी अट्टल मौत के आने से दिल-बहलाव करता रहा।

प्यार करने के लिये उसने बहुत प्रयत्न किये; परन्तु असफल रहा। अन्त में उसने विचार किया, क्यों न अपने ही मुहल्ले में प्यार की नींव रखी जावे। एक दिन उसने उन लड़कियों की सूची बनाई, जिनसे प्यार किया जा सकता था। सूची बन गई और केवल नौ लड़कियाँ ही उसमें आ सकीं।

नं० १ हमीदा, नं० २ सगरा, नं० ३ नग़मा, नं० ४ पुष्पा, नं० ५ कमलेश, नं० ६ राजकुमारी, नं० ७ फ़ात्मा उर्फ फत्तो, नं० ८ ज़विदा उर्फ जिदा।

नं० ९, उसका नाम इसको मालूम नहीं था। यह लड़की पशमीने के सौदागरों के यहाँ नौकरी करती थी। अब उसने नम्बर वार विचार करना प्रारम्भ किया।

हमीदा सुन्दर थी, बड़ी भोली-भाली लड़की। जिसकी आयु लगभग पन्द्रह की होगी। सदा प्रसन्न रहने वाली थी। इस नाजुक कली को देखकर ऐसा लगता, जैसे कोई सफेद शक्कर की पुतली और भुर-भरी है। यदि ज़रा भी हाथ लग जाये तो इसके शरीर का मानो कोई अंग गिर जाने का डर रहता। छोटे से सीने पर छातियों का उभरा-पन ऐसे दीख पड़ता था, जैसे मन्द-राग में किसी ने दो स्वर ऊँचे कर दिए हों।

हवा के घोड़े

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