पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[ १०२ ] बुद्धराव--राजा अनिरुद्धसिंह के पुत्र; कृष्ण कधि वेनी प्रवीन वाजपेयी-लखनऊ निवासी; जाति कलानिधि के श्राश्रयदाता । दे० (क-२३) के कान्यकुब्ज वाजपेयी ब्राह्मण, सं०१७ के बुद्धिसिंह-स० १८६७ के लगभग वर्तमान, जाति लगभग वर्तमान, अवध के नवाब गाजीउद्दीन के कायस्थ, बुंदेलखंड निवासी थे। हैदर के समकालीन, लखनऊ के दीवान नवल. सभा प्रकाश दे० (छ-१७) कृष्ण के याश्रित। बुध चातुरी विचार-रतन कवि कृत-लि० का० नवरस तरग दे० (ज-18) सं० १८५५, वि० बुद्धि की चतुराई के भेद । धेनीगम-दयाराम के शिष्य, जैन मतावलयी, दे०(ङ-६) सं०१७७६ के लगभग वर्तमान, खरतर गच्छ वुधजन-सं० १८६५ के लगभग वर्तमान जैन निवासी; राठौर माधोसिंह पीपाड (जोधपुर) मतावलंधी। के जागीरदार के याश्रित । योगीप्सार भाषा दे० (क-११८) जिनगम दे० (न-१०६) बुरहान–कुतवन मलिक मुहम्मद जायसी के गुरु; चिश्ती वंश के थे, सहसराम ( विहार )/ वेसहनीसिंह-जयगोपालसिंह के पिता; चैम- निवासी, सं० १५६६ के पूर्व वर्तमान, हुसेन- लपुर, परगना सिकदरा के ठाकुर थे, सं० शाह के समकालीन । दे० (क-४) (क-५४) २६५ के पूर्व वर्तमान 1 दे० (उ-७०) बृहस्पतिकांड-तुलसीदास कृत, यि० वृहस्पति वैकुंठमणि शुक्ल-६७ वीं शताब्दी में वर्तमान; ग्रह का १२ राशियों पर फलाफल विचार । ओड़छा नरेश राजा जसवंतसिह के आश्रित;) दे० (घ-३०) (ग्रंधकर्ता तुलसीदास गोस्वामी और टीकमगढ़ के राजा की रानी मोहन कुँवरि नहीं प्रतीत होते । के भी श्राधित थे। वेनी-असनी (फतेहपुर) निवासी, सं० १८१७ चैसाख माहात्म्य दे० (छ-५ ए) के लगभग वर्तमान, मिहचलसिंह के आश्रित । अगहन माहात्म्य दे० (छ-५ बो) शृङ्गार दे० (घ-६२) वैताल पचीसी-(र० श्रधात ) वि० विक्रम कवित्त देनी कृत्त दे० (घ-६) ले वैताल का पञ्चीस कहानियों का वर्णन | दे० रसमयमथ दे०(घ-१२२ ) (ड-२२) (क-६) वेनी कवि-भिंड (ग्वालियर ) निवासी, नगेस वैताल पचीसी-भवानीशंकर कृत,नि० का० सं० १८७१, लि० का० सं० १८६५, वि० सत्रह कहा- शालिहोत्र दे० (छ-१३५) नियॉ वैताल पचीसी की और चार कहानियाँ। बेनी कविं-रायबरेली जिले के निवासी,स०१८४६ सिंहासन बत्तीसी की हैं । दे० (ख-१३) के लगभग वर्तमान, अवध के मंत्री टिकैतराय | बैताल-पचीसी-देवीदत्त कृत, नि० का० सं० १८१२; लि० का० सं० १६४६, वि० चैताल टिकैतराय प्रकाश दे० (ज-१४) पंचविंशति का भाषानुवाद । दे० (च-२७) के पुत्र। के आश्रित। 1