पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१३९

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अनुवाद । दे० का वि० संस्कृत गीता का लि० का० स० १८६७, वि० भगवतरसिक की (छ-२६०) (ग-६०) (ज-११७ ) प्रशंसा । दे० (छ-१३६) भगवत गीचा-अनद कृत, नि० का० स० १८३६, भगवतरसिक जी-माधवदास के पुत्र; स्वामी लि. का० सं० १८६१, वि. भगवत गीता का हरिदास के शिष्य, सं० १६१७ के लगभग अनुवाद ।दे (ज-४५) वर्तमान, इन्होंने अपने ग्रंथ में १२६ भक्तों के भगवत गीता भाषा-(र० श्रहात ) लि. का० नाम दिए हैं जो उनके पूर्व के या समकालीन सं० १७४८ वि० भगवद् गीता का अनुवाद । होगे, जिनमें एक अकबर भी है दे० (ख-६१) अनन्य निश्चयानिक रथ दे० (क-२६) भगवतगीता की टीका--अन्य नाम भाषामृत; नित्य विहारी जुगल ध्यान दे० (क-३०) भगवानदास कृत, नि०का० सं० १७५६, लि० अनन्य रसिकाभरण दे० (क-३१) का० सं० १८६६; वि० रामानुजाचार्य कृत, निधयात्मिक ग्रंथ उत्तरार्ध दे० (क-३२) टीका का भाषानुवाद । दे० (क-६६) निर्विरोध मनरंजन दे० (क-३३) भगवत गीता भाषा-गोस्वामी तुलसीदास कृत; अगवत विहार लीला-प्रेमदास कृत; वि० वि० भगवद् गीता का अनुवाद । दे० राधाकृष्ण चरित्र - वर्णन । दे० (छ-३३८५) (ज-२२६ सी) भगवत गीता भाषा-रामानंद कृत, वि० भग. भगवती गीत-विद्याकमल कृत; घि० जैन, वद् गीता का अनुवाद । दे० (ज-२५१५) धर्मानुसार सरस्वती की वंदना ।दे० (क-६७) भगवत चरित्र-भागवतदास कृत, वि० राम.| भगवानदास-भयानकाचार्य के शिष्य, इनके पूर्व आर कृष्ण तथा हरिजनों का चरित्र वर्णन।दे० की दो गहियों पर दामोदरदास और स्वामी (ज-२२) कूवाजी हुप,सं० १७५६ के लगभग वर्तमान । भगवतदास-सं० १८६८ के लगभग वर्तमान, भगवत गीता (भापास्त ) दे० (क-६६) जन्मभूमि इलाहाबाद; मगरोरा ( राय घरेली) भगवानदास ( निरंजनी )—सं० १७२२ के लग- निषामी; जाति के ब्राह्मण। भगत वर्तमान, अर्जुनदास के शिष्य, क्षेत्रवास राम रसायन दे० (ज-२१) निवासी, निरंजनी संप्रदाय के अनुयायी थे। भगवत मुदित-ये राधावल्लभी संप्रदाय के अमृत धारा दे० (छ-१३६) स्वामी हित हरिवंश के अनुयायी थे। भगौतीदास-जैन मतावलंबी, सं०१७३२ के लगा। हित चरित्र दे० (ज-२३ ए) भग वर्तमान थे। सेवक चरित्र दे० (ज-२३ घी) चेतनकम चरित्र दे० (क-१३३) रसिक अनम्य माता दे० (ज-२३ सी) भजन–देवीसहाय कृतः लि० का० सं० १६६०, भगवतरसिक की प्रशंसा-बिहारीवल्लभ कृतः वि० ईश्वर के प्रति विनय । दे० (ज-६६)