पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१५९

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[ १२६ ] द्वितिया के व्रत की कथा का वर्णन । दे० यादो-उप० श्रीयादौ: मोहनदास कायस्थ के पिता; (छ-६६) फुरसथ ( नीमसार ) निवासी; सं० १६८७ के यशवंतविलास-यशवंतसिंह कृत नि० का स० पूर्व वर्तमान थे । दे० (क-५), १८२१, लि० का० सं०१६२५. वि०पिंगल और युक्ति तरगिणी—कुलपति मिश्र कृत, नि० का. अलकार वर्णन ! दे० (छ-११६) सं० १७४३, वि० नवरस वर्णन । दे० (छ-१८५५) यशवंतसिंह-सं० १२१ के लगभग वर्तमान युगलमंजरी-अयोध्या निवासी; रामानुज संपत पन्ना नरेश महाराज हिंदूपति के चचेरे भाई दाय के सखी समाज के वैष्णव थे। और दीवान अमरसिंह के पुत्र थे, महाराज भावनामृत कादविनी दे० (छ-३४६) हिंदूपति के कहने पर इन्होंने अपना ग्रंथ लिखा। | युगलमाधुरी-ये अयोध्या के महंत थे, इनके यशवतविलास दे० (छ-२१६) विषय में और कुछ मी झात नहीं। यशवंतसिंह-धुंदेलखण्ड निवासी; जाति के क्षत्री; मानस मार्तंड माला दे० (ज-३३५ ) चित्रांगद के पुत्र थे। युगलरस माधुरी-अलि रसिकगोविंद कृत; धनुर्वेद दे० (छ-१२०) वि० राधाकृष्ण तथा वृंदावन की शोभा का यशवंतसिंह-जोधपुर नरेश; राज्य का० सं० वर्णन! दे० (८-१२२ सी) (ज-२६३ ५) १६४२-१७३५ । दे० “जसवंतसिंह (छ-२५१) युगलशतक-राजकिशोर लाल (ख-७२) (ग-१४) (स-७२) (ग-१५) उनहत्तर कवियों की कविताओं का संग्रह। दे०(ज-२४२) (ख-७३) (ग-१७) (ग-४७) (छ-१७६) (ग-१६) (ग-२२) (ग-४६) (ग-२०) युगलस्वरूप विरह-पत्रिका-इंसराज वरूशी (ब-६)(च-38) कृत, नि० का० सं० १७४ लि० का०सं० १८६२ वि० राधा के कृष्ण को प्रेमपत्र लिखने । यशोदानंदन (शुक्ल)-जाति के मालवीय शुक्ल का वर्णन । दे० (छ-४५ घी) ब्राह्मण, सं० १८१५ के लगभग वर्तमान, बनारस निवासी, सेठ महताबराय के कहने से इन्होंने युद्धध्योत्सव-जगन्नाथ कृत; नि० का० सं० अपना ग्रंथ रचा था। १८८७, लि० का० सं० १८६८, वि० युवरीति वर्णन । दे० (ज-१२३) रागमाला दे०(ज-३६४) यावखाँ–सं० १७७६ के लगभग वर्तमान, युद्धविलास-भैरववल्लभ कृत; नि० का० सं० १६०२, वि० महाभारत के कर्ण पर्व का भाषा- इनके विषय में और कुछ शात नहीं। नुवाद । दे० (ज-२४) रस भूपण दे० (छ-३४५) (च-७१) योगदर्पण सार-प्रकवर कृत, नि० का० सं० योदवराज-जैसलमेर ( राजपूताना ) के राजा, १८६ लि. का० सं० १६०२, वि० वैद्यक, हिंदू सं०१६०७ के लगभग वर्तमान, हरराज कवि प्रथा के अनुसार चिकित्सा आदि का वर्णन । के आश्रयदाता थे। दे० (क-६६) कृत, वि०