पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

! [ tal ] पायबीबी निदेव (-१) हरिचंद सत्-पायाप्त साधु य वि० रामा परिभववार कथा-महाराज जयसिंह का वि० हरिम्बद की कथा का वर्णन । दे०(प-१०७) मार से पत्रको वकाने के लिए यिष्य के भष हरिचरण दास-पैमपुर, पांगमा गोपल जिला वार का वर्णन। देक-५५) सारन ( विहार निवासी म का० ० हरि भाचार्य--पे कोई साधु थे। इसके विप में १७६६) गति के सरयूपारी मगरणरामधन और कय मी बात नहीं। के पुत्र और पामुरेष के पौर, २०१६ मारपाम १०(१-२१२) अगभग वर्तमान पहले मषापुर राजा किन हरिरुपए--मपति मिभ के पितामा परापम सेनामा रमपदक राजकुमार पिएद के पिता और मयमाल के युवा जाति के माथुर सिहभाभित रहे। और भाग निवासी थे। (क-२) श्री शिवपच०(6-4-) (-106) हरिमायादे०(-) हरिकेश हिन-स. १७३२ के लाभग पर्तमान वासिक प्राङ्गणमानीया, परगमा सेभ परिषरण दास-म० १३५ के लगभग वर्समाम, दुरा (राज्य दतिया) निवासी पना-मरेश इसके विषय में और कुछ भी बात नहीं। जात्रसाल भीर पयसादिया अंतपुर परिझम २.(-२५५५) केरामा मगराज केमाभित थे। समामा दे०(५-२५५) माय पितर दे० (-15) परिचरित दिशा-महाराज जयसिह मालिक अनाया (पी) का 80 पिककरण परिपका पन। ०(6-1४५) परिचंद--परसाना (प्र) नियासी, नरे विषय में और भी भात मही। रिपरिवामृत-महाराम जयसिंह नि. ० ११ वि० भगवान क मत्स्य, फर्म, यादे० (-०७) मोहमी मौर यारा भतारों का वर्णन । हरिचंद की कपा-मारापण दि, वि १०(क-100) भयोग्या-माण या हरिमन की कथा का | हरिचरितामूठ-महाराज मसिद र वि० परीन. १८-१०३) प्रायमचारीकी लोखामों और मायमेधा परिषद की कपा--अगमाय मिम त यि. वर्णन २०(क-२४४) राजा हरिया की कथा का पणेम । १० १२४ परिचरित्र--सालचदास नि० का १० हरिद गण-नारायण परत, मि० का. EVENलिका० स० वि० भागवत उ०१४४३ मि०पजा हरिचंद्र की कथा का एशम् कथा मापानुषाद ।२०-१५) पलन । (-) हरिमन-ललितपुर (झाँसी ) निषा घरवार परिषद शक-परिचरतवि०मान, मदि मौर कपिरिपिटा सं०१० पूर्व परमान। पंचम्प सपन।२० (-१)