पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/४१

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1 ] छप्पय में राम तथा अमरेश की प्रशसा है । दे० हुई राजपुर (यांदा) में सुरक्षित है। विराम- कथा । दे० (ख-२८) अमान-गुमान कचि के भाई, महोवा निवासी; | अयोध्याकांड राम रसायन-कवि पद्माकर भट्ट सं० १८३८ के लगभग वर्तमान । दे० (च-२३) कृत, वि० बाल्मीकीय रामायण अयोध्याकांड अमीर-मुसलमान कवि, संभवतः१६वीं शताब्दी का पद्यमय अनुवाद । दे० (ख-२) में बुंदेलखंड के किसी राजा के आश्रित थे अयोध्याप्रसाद-राजकिशोर हाल के पिता; रिसाला तीरदानी दे० (छ-४) घनश्यामपुर (जौनपुर)निवासी । दे०(ज-२४२) अमीरखॉ-टोक के नवाब, इनसे और जयपुर अयोध्याविंदु-रामदेवतः वि० रामचरित महाराज जगतसिंह के सेनापति चॉदसिष्ठ वर्णन । दे० ( ज-२४६) गोगावत से, जो कि कवि चेतराम के आश्रय- अयोध्या माहात्म्य-उमापति कृत, नि० का० दाता थे, युद्ध हुआ था । दे० (ख-८३) स. १९२४लि० का० सं० भी घही, वि० अमीरखाँ–यह देहली के बादशाह मुहम्मदशाह अयोध्या का माहात्म्य । दे० (ख-३१) के कृपापात्र सं० १७-१८०० तक इलाहा- | अरिमर्दनसिंह--एक राजा; सं० १८११ के घाद के सूबेदार थे; और देव कवि के श्राश्रय लगभग वर्तमान. हरिदास कवि के माश्रय- दाता थे। दे० (घ-१५५) दाता थे । दे० (ङ-७२) अमीरदास-सं० १८८७ के लगभग वर्तमान; | अग्लि-चद जू गोसाई कृत लि० का०सं० १७८८ इन्होंने साध सरोवर के किनारे पुस्तकें निर्माण वि० कृष्ण गोपियों का प्रेम वर्णन 1 दे० (छ-१४) की, संभवतः ये बुंदेलखड के व हर भूपाल के अरिल्ल भक्तमाल-व्रजजीवनदास कृत,वि० भक्तों निवासी थे। का माहात्म्प वर्णन । दे० (ज-३४ यी) समा मदन दे०(छ-१२४ ए ) अरिल्लाटक-पहाराज सावन्तसिंह उप० नागरी- दुषणोठास दे०(छ-१२४ बी) दास कृत । दे० (ब-१२१ ग्यारह) अमृतधारा-भगवानदास निरजनी कन, नि० | अरिलें- राजा पृथ्वीसिंह कृत, वि० सात्विक प्रेम । का० सं० १७२२, लि० का० स० १६०४ और दे० (छ-६५ एल) १४२६, वि० वेदांतिक आत्म सिद्धांत । दे० | अरिलें—प्रेमदास कृत, वि० सदाचार वर्णन । (छ-१३६) दे०(छ-२०६ बी) अमृतसंजीवनी-डाकर वावा साहय मुजुमदार | अर्क प्रकाश-(अक्षात ) वि० रावण कृत नेपाली कृत, लि०का० सं० १६५६, वि. वैद्यक। अर्क प्रकाश संस्कृत का अनुवाद । दे० (- दे० (ज-१२ वी) १०४) अयोध्याकांड-(रामायण ) गोस्वामी तुलसी- | अर्जनामा--कधीरदास कृत; वि० विनय प्रार्थना। दास कृत; यह प्रति उनके निज कर की लिस्त्री दे० (ज-१४३ जी) वैपक 1