पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/५१

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[१] श्रोपधि विधि-धन्वंतरि कृत लि० फा० सं० कपूर मिश्व–पत्तनपुर (चदनपुरी) निवासी; १८३६, वि० श्रीपध बनाने की रीनि । दे० कवि मोहनदास मिश्र के पिना । दे० (च-७२) (3-50) कवीर-कीर पंधी मप्रदाय के सम्धापक, जन्म ग्रौपधिसार—छत्रशाल मिश्र नि० का०सं० १८४८, वि० वैद्यक । दे० {छ-२२.५) का० म०४५ मृत्यु का० सं० १५०; रामानद दे शिष्य, काशी निवासी; जुलाहे; कंठाभरन—दूल्हा कवि ऋत, लि. का० सं० धर्मदाल के गुरु । (छ-५॥ १६३३; वि० अलंकार । दे० (ज-७७) ककहरा-राजा विश्वनाथसिंह कृन- वि० श्रात्म अगाध मगन दे० (ज-१४३ प) द्वान वर्णन। दे० (ज-३२६६) श्रदरभेद की रमैनी दे० (-१४२ वी) ककहरा--जीवनदाल कृन: वि० उपदेश । दे० भारस्पद की रमैनी दे० (ज-१४३ सी) अहिफनामा १ दे० (ज-१४३ डी) ककहरा--रामसहायदास कृत, लि. का० सं० अनिफनामा २ दे० (ज-४३) १६३७, वि० उपदेश। दे० (ज-२५६) अनुराग सागर दे० (ज-४३ एफ) फया चार दुर्वेश -नारायन कृत, नि० का० सं० (-१७७ के) १८४१; लि० का० सं० १८५४, वि० उर्दू चहार मन नामा टे० (ज-१४३ जी) दघेश अर्थात् चार फकीरों के किस्से का पद्य- भारती दे० (ज-१४३ एच) मय हिंदी अनुवाद । दे० (ड-28) रलमपी पैज टे० (ज-१४३ आई) कथा सुदामा—नरोत्तम कृत लि. का० स० बारहमासी दे० (ज-१४३ जे) १८७१, वि०विप्र सुदामा की कथा ।दे० (क-२२) भक्ति का अंग दे० (ज-१४३ के) कदम-बालकदास के गुरु । दे० (छ-३३) चौजक दे० (ज-१४३ पत) कनक मंजरी-काशीराम कृत, लि. का० सं० एप्पै दे० (ज-१४३ एम) १८३४, वि० धनधीर साह की पत्नी कनक चौका पर की रमैनी दे० (ज-१४३ एम) मंजरी की कथा । दे० (ब-७) चौतीसा दे० (ज-यो) कपिलदंब की कथा-रीवाँ नरेश महाराज गौरव पचौर की गोठी टे० (ज-१४३. पी) जयसिंह कृत: लि० का० स० १६०, वि० जान चौंतीसा दे० (ज-२४३ क्यू) कपिल मुनि की कथा । दे० (क-१४६) शान ग्दरी दे० (ज-१४३ श्रार) कपूरचंद-उप० चंट, दिल्ली निवासी, बादशाह ज्ञान सागर दे० (ज-१४३ एस) शाहजहाँ के समकालीन, सं० १७०० के लगभग मान स्वरोदय दे० (ज-१४३ टी) वर्तमान। कबीर गोरन की गोटी दे० (ज-१४३ य) भाषा रामायण दे० (घ-88) कबीरजी की साखी दे० (ज-२४३ वी)