पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/५३

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[ २० ] प्रति का लि.का० सं० १८६१; वि० जमुना, कबीर के द्वादश पंथ---धर्मदासकृत, चि० कधीर के मुख्य उद्देश्य की प्राप्ति के यारह उपाय । दे० दिल्ली, राजमहल, वजीर-चंश, ऋतु, नवरस (छ-१५८) और नायिकादि का वर्णन । दे० (ध-६५)' कबीर के वीजका की टीका-पूरणदास कृत कमलनयन-पन्ना निवासी; रूपसाहि कवि के नि० का० सं० १८४४, लि० का० सं० १६३८, पितो। दे०(च-३) वि०कबीर के बीजक पर टीका। दे०(छ-२०६) कमलजन-सभवतः कोंच या जालौन निवासी, कबीर गोरख की गोष्ठी-कथीरदास कृत, लि. स० १८४७ के लगभग वर्तमान । का०सं०१८७०, वि० कयीर गोरख का संवाद। दस्तूर-मालिका दे० (छ-५६) दे० (ज-१४३ यू) करणकवि-बंसीधर के पुत्र; सं० १८५७ के लग- कबीर जी का पद-कबीरदास कृत, वि० शान भग वर्तमान, पन्नानरेश महाराज हिन्दूपति उपदेश। दे० (ग-५२) (ग-१८४) के साथित। कबीर की साखी-कधीरदास कृत, लि० का रसक टोल दे० (ङ-१५) स० १७४०; दूसरी प्रति का सं० १८२१, वि० | करणभट्ट-सं० १७६७ के लगभग वर्तमान, आत्मज्ञान । दे० (ग-५३) (ज-१४३ ची) क्रमशः पन्ना के महाराज समासिंह, अमन- (ग-१८६) (ज-३५) (ग-१८७) सिंह और हिन्दूपति के आश्रित । कवीर परिचय की साखी-कबीरदास साहित्य-चदिका दे० (छ-५७) कृत लि. का० सं० १६४२, वि० उपदेश । दे० करणसिंह-महाराणा अमरसिंह के पुत्र, चित्तौड़ (छ-१७७ ओ) निवासी, राणा अमरसिंह के शाहज़ादा खुर्रम कवीर सादव की परिचयी-अनंतदास कृत, द्वारा पराजित होने पर कुँवर करणसिंह दिल्ली वि० कयीर जी की कथा। दे०(ज-५ वी) दरबार में उपस्थित हुए और वादशाह जहाँ- कबीर साहब की बानी-कबीरदास कृत; लि. गीर ने इनका बडा सत्कार किया। सं० का० सं० १८५५, वि० शान का वर्णन। दे० १६१४-१६१६ तक दिल्ली में रहे । कवि दयाल- (ज-१४३ एम) दास के आश्रयदाता। दे० (क-६४) (ख-३०) कमरुद्दीन-उप० मीर मुहम्मद फाजिल, स० (ज-६१) १७८५ के लगभग वर्तमान, बादशाह मुहम्मद करणसिंह-बीकानेर नरेशः राठौर अनूपसिंह शाह का वज़ीर; सं० १८०५ में अहमद शाह के पिता। दे० (ग-७६) अब्दाली द्वारा वध किया गया; गंजन कवि करनीदान—सं० १७८१-१८०५ के मध्य में वर्त. का आश्रयदाता दे० (व-६५) मान; जोधपुर नरेश महाराज अभयसिंह के कमरुद्दीनखाँ हुलास-गंजन कवि कृत, नि० आश्रित; आश्रयदाता ने इन्हें जागीर और का० सं० १७८५, लि० का० सं० १८५६, दूसरी कविराज की उपाधि दी।