पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/११६

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(२१) डास्टर जी. ए. निगसन, सी. माई. र faria सो प्रभा गने में हम नाम नाम गने (n.) भोगुनमा पदम प्रिय पर RO नगरी सन १८४ मा पहिले ती मुर पिसान शिक्षक मानक पर परत शिक्षा दो जय १७पकी पापा होगा तब उन शिक्षा प्रात: लिय मा उपलिन नगर कटिनिटी कालेज में येडार पर इन्होंने यो ५० पास किया, फिर रावट पसिन से र सीम्रो पार मोर पोलादमली के पास हिंदुस्तानी भाग पढ़ने संस्कृत पार हिंदुस्तानी भाग में इन्होंने अच्छी योग्यता मा और उसके लिये युनियसिंटो से पुरस्कार पाया। सन् १८७१ में पापने हिंदुस्तान को सिविल सर्विस प पास को और दो वर्ष बाद हिंदुस्तान में प्राकर बंगाल के जैसोर में नियत हुए परंतु शीमही पापको बदली अकाल के हो गई और माप विहार प्रीत की दुर्भिक्ष-पीड़ित प्रजा रक्षा के लिये भेजे गए। यहां पाकर जब मापने देखा प्रांत के लोग तिरहुती भाषा के सिवाय नहीं तव इनका ध्यान इस ओर आकर्षित : केवल हिंदी पौर बंगला में परीक्षा - का शासन करने पाते हैं ये . c सकते, इसलिये इस भाषा का अत्यंत आवश्यक है।