पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/१६५

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(३०) वायू देवकीनंदन खत्री। POKल्तान के दीवान तथा तालुकेदार लाल नौनिद्धिराय मु एक बड़े भारी मादमी थे। उनकी कई पीढ़ी पीछे EYEAR उनको संतान के कोई लोग लाहौर में आ बसे, परंतु जा रणजीत सिंह के पुत्र शेर सिंह के समय में जब लाहौर एक प्रकार को अराजकता सी फैल गई तब लाला अचरजमल उपरिवार लाहौर छोड़ कर काशी में मा बसे । लाला अचरजमल के दो पुत्र हुए, लाला नंदलाल और लाला स्वर दास। लाला नंदलाल के तीन लड़के हुए, बावू देवीप्रसाद, व भगवान् दास और बाबू नारायण दास, और लाला ईश्वरदास पुत्र हमारे चरितनायक बाबू देवकीनंदन हैं। आपका जन्म संवत् १९१८ के पापाढ़ मास में हुआ था, माता मापकी मुजफ्फ़रपुर के घावू जीवन लाल महता की बेटी थी इस विरण इनके पिता अक्सर वहीं रहा करते थे। इनका जन्म भी गुजफरपुर का है और यहां इनका लालन पालन भी हुआ। कुछ वयोवृद्ध होने पर इनको पहिले हिंदी और फिर संस्कृत पढ़ाई गई, कारसी भाषा से इन्हें स्वाभाविक प्रेम था परंत इनके पिता की उस और बड़ी अरुचि थो इसी कारण ये बाल्यावस्था में ता फ़ारसी न पढ़ सके परंतु १८ वर्ष की अवस्था के अनंतर जब ये गयाजो में स्वतंत्र रहने लगे तो इन्होंने फ़ारसी और उसीके साथ साथ कुछ अंगरेजो का अभ्यास किया। गया जिले के टिकारी राज्य में इनके पिता का व्यापारिक संबंध पा। इसी कारण इन्होंने गया जी में एक कोठी खोली और यहाँ 13