पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/१६८

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(३१) पंडित ज्वालाप्रसाद मिश्र । AANA रादाबाद-निवासी पंडित ज्यालाप्रसाद जी का उन मु मापाढ़ पण २ संवत् १९१९ का है। आप मृत पंडि वलदेवप्रसाद जो के बड़े भाई हैं। इनके पूर्व पुरु पहिले पटने में रहते थे पर अब बहुत दिनों से मुर दाबाद में मा रहे हैं। इनके पिता का नाम सुखनंदन मिथ था जिस दिन इनकी अयस्था का पांचया वर्ष पूरा हुआ ठोक उम दिन इनको एक चोहा उठा कर जंगल में ले गया। उसने इन सब ज़ेवर तो उतार लिया पर कुशल हुई कि इन्हें जंगल में जीत छोड़ दिया । उस प्राधी रात्रि के समय न जाने किस पुरुप ने इन् लाकर थाने में बैठा दिया । आठ वर्ष की अवस्था होने पर इनका यज्ञोपवीत संस्कान हुआ और उसी समय से इन्हें सर्वगुण आगरी नागरी का अध्ययन आरंभ कराया गया। इसके दो वर्ष पोछे इन्होंने अँगरेजी पढ़ना प्रारंभ किया और उसे ये पांच वर्ष तक पढ़ते रहे परंतु एक पाये समाजो मास्टर से धार्मिक वाद विवाद हो उठने के कारण इन्हें ने स्कूल छोड़ दिया और घर पर संस्कृत का अध्ययन प्रारंभ किया। व्याकरण काव्य कोप आदि का अध्ययन कर लेने पर इन्होंने स्वयं मच्छे अच्छे ग्रंथों के पढ़ने का अभ्यास डाला जिससे संस्कृत- विद्या और हिंदु धर्मशास्त्र दोनों में इनकी अच्छी पैठ हो गई। पंडित ज्यालाप्रसाद जो कोसनातन धर्म प्रति स्वाभाविक प्रया है इसोसे इन्होंने पहिले पहिल निज मत मंडन और दयानंद मत