पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/१७२

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(३२) आनरेव्ल पंडित मदनमोहन मालवीय वी. ए., एलएल. वी.। ho TA नके पूर्व पुरुप मालया देश के निवासीधे इसीसे ये पार इनके कुटुंब के लोग मालवीय उपाधि से भूपित हैं। कोई तीन सौ यपं हुए होंगे कि इनके पूर्वज मालवा देश छोड़ कर इलाहाबाद में आबसे। मालवीय ०७ जी के पूर्वजों में एक न एक पुरुष विद्वत्ता और धर्म निष्ठा के लिये प्रसिद्ध होता आया है। पंडित मदनमोहन मालवीयजी के पिता का नाम पंडित वैजनाथ मालयीय था।ये हालही मेंस्वर्गलोक कोपधारे हैं और संस्कृत के अच्छे पंडित थे। मालवीय जी का जन्म सन् १८६२ में तारीख १८ दिसंबर को हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा हिंदी में घर ही पर हुई। जब ये हिंदी भलो भांति लिखने पढ़ने लगे तब अँगरेजी पढ़ने के लिये गवर्नमेंट स्कूल में बैठाए गए। वहां ऍट्रेस की परीक्षा पास करके इन्होंने म्योर सेंट्रल कालेज में नाम लिखाया और सन् १८८४ ई० में वहीं से बी०ए० को परीक्षा पास की। वी० ए० की परीक्षा पास कर चुकने पर इच्छा होने पर भी कई कारणों से वे आगे न पढ़ सके और उसी वर्ष गवर्नमेंट स्कूल में अध्यापक नियत हुए। इन्होंने इस पद पर तीन वर्ष तक बड़ी योग्यतासे काम किया । सन् १८८७ ई० में कालाकांकर के तपालक दार राजा रामपाल सिंह जी इन्हें अपने यहां लिवा ले गप पार अपने यहां से प्रकाशित होने वाले हिंदी भाषा के एक मात्र दैनिक