(८) पंडित बालकृष्ण भट्ट । DOOदित बालकृपाभा के पूर्व पुरुष माया देश के निवास पं थे। परंतु ये किसी कारण-विशेष से कालपी 909 पास येतवा नदी के किनारे जटकरी गांव में प्राबसे। पंडित जी के प्रपितामह श्याम जी एक चतुर पौर विद्वान पुरु" थे। अस्तु ये राजासाहव कुलपहाड़ के यहां एक उच्च पद पर नौकट हो गए । उनके दो स्त्रियां थीं जिनसे पांच पुत्र उत्पन्न हुप अपने सबसे छोटे पुत्र बिहारीलाल पर अधिक स्नेह रखते थे इसलिये अंत समय अपनी सव सम्पत्ति का अधिकार उन्होंको दे गए। पंडित विहारोलाल जटकरी से आकर प्रयाग में रहने लगे। इनके जानकीप्रसाद और वेणीप्रसाद दो पुत्र हुए । पडित बालकृष्ण जी वेणीप्रसाद जो के पुत्र हैं। वे स्वयं पढ़े लिखे तो बहुत न थेपर इस मोर उनके चित्त कोप्रवृत्ति और रुचि विशेष थी। पंडित बालकृष्ण भट्ट का जन्म संवत् १९०१ में हुआ था। इनकी माता बड़ी विदुषी थों इसलिये इन्हें जन्म से ही विद्याध्य- यन का व्यसन लग गया । कुछ बड़े होने पर इनके पिता पौर चाचा आदि ने चाहा कि यह बालक दुकानदारी के काम में दत्तचित्त हो कर व्यापार-कुशल हो। परंतु ये उस ओर ध्यान नहीं देते थे और अपने पढ़ने लिखने में लगे रहते थे। ऊपर से माता का यही अनुरू शासन था कि येटा तुम खूब पढ़ो। तदनुसार ये १५-१६ वर्ष की अवस्था तक संस्कृत पढ़ते रहे। सन् ५७ के गदर के पश्चात् देश में अँगरेजी राज्य का दवः दवा होने से अंगरेजी भाषा का मान बढ़ने लगा । अस्तु इनकी
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