पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/५३

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(E) वाचू तोताराम । सपू तोताराम जी कायस्थ थे। इनका जन्म धावण शुक्ला बा १० संवत् १९०४ में हुआ था। इनके पिता लाला झानचंद सासनी स्टेशन के पास नगलासिंह में रहते थे पर फिर ये गोहाना में जा बसे पौर यहीं पर एक मदरसा स्थापित किया। यद्यपि पलीगढ़ के जिले में उर्दू पार फारसी का अधिक प्रचार होने के कारण वाव तोताराम के घर के सब लोग उर्दू फ़ारसी में हो प्रयोग धे परंतुनको घर को भाषा हिंदी थी और घर की खिये तक को हिंदी में रामायण पढ़ने का अभ्यास था। इसीसे इन् . प्रारंभ में हिंदी की शिक्षा दी गई। इन्होंने पाययन में ऐसी तीयत दिपलाई कि साल भर में हो साधारण गणित पार लिखने पढ़ा । योग्य हिंदी सोप ली। तब इनके पिता ने इन्हें सासनी के सरकार स्कूल में विटाया। यहां को पढ़ाई भी इन्होंने लगे हाथो समाप्त कं पार गरजी भाषा को शिक्षा पाने के लिये अलीगढ़ के उस स्कूर में जा भरतो हुए जो कि अप अलीगढ़ कालेज के नाम से प्रसिद्ध यहाँ यह भी कह देना पारश्यक है कि इनके मारंभिकविधागु पंडित क्षेम जी बड़े शांतशील सजन पार धर्म में प्रधावान् सा पुरुष थे। पड़े होने पर भा पाय तोताराम जो भी वैसे ही हुए। से पाहर पक पालाशान शहर में स्वतंत्र रहते हुए भी इनके मा पहर पियाध्ययन में व्यतीत होते थे। सन् १८६३ में इन्होंने एंट्र पास कर लिया पर फिर भी पागे पढ़ने के लिपे मागरे के सेंटजा कालेज में भरती हुए। यहां पाए जिस समय यो ए०कास में