सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/५४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

इन्होंने 'राम रामायण' नाम से वाल्मीकीय रामायण नामक हिंदी का सामादिक पर निकाला। इस दसरंव- घायू तोताराम जी हिंदी भाषा के अनन्य शुभचिंतकथे, संबद्धनी सभा स्थापित की थी जिसका यह उद्देश्य था कि भापा को अच्छी प्रच्छी पुस्तक छपा कर सस्ते मुल्य परवंची जांच इन्होंने स्वयं कई पुस्तकें लिख कर सभा के समर्पण की योंकि में से एक स्त्री-सुबोधिनी है। आप अलीगढ़ की प्रदर्शनी में लिपि विभाग के मंत्री थे। प्रस्तु, आपने हिंदो-लिपि वालों को अच्छे मा इनाम दिला कर उनका उत्साह दुगना किया और इसी तरह हिंदी भाषा की ओर से सर एंटनी मेण्डानल के यहां डेपुटेशन जाने वाला था तो आपने कायस्थ कानफरेंस के सभापतित- ६००० कायस्थों को हिंदी के पक्ष में राय देने को बाध्य किया था। परे गोimmitra At मरे में भी कुरोगामिद करने में छोड देना। पड़ना नेमाडोलार मालाड देड मास्टर परको नाग्म में बदल गई। यह नाम पर भी बाहोंने यहां ontr" मामात में लियो । कर अंग्ला. गुन महागो पारि भागमो का प्रभायन डिया पर कानून करमाकरी संसदिया। इस प्रकार सेया-तिसं स्पनर हर इन्होंने सन् १८३ में अलीगढ़ में सपना सामाना गोला तर यहाँ से भारत संयुक्त प्रांत के गेट लाट को सहायता से लायल सामोरो के पुस्तकालय स्थापित किया। विषय में इन्होंने यथासाध्य परियम किया। इन्होंने एक